धर्म की परिकल्पना ज्ञानम: पर Image by Stefan Keller from Pixabay “ ज्ञानम :” की परिकल्पना जब हुई, तो उसमे आठ आधार स्तम्भ विषयों को जोड़ा गया, जो थे- धर्म ,अर्थ,काम,मोक्ष,राज,तंत्र,विश्व,ब्रह्मांड इन्ही आधार विषयों में से सबसे प्रमुख और पहला विषय हैं - “धर्म” धर्म ज्ञानम: की द्रष्टि से जाती,परम्परा एवं मान्यताओं से अति विशाल और विषद हैं. इसका आरंभ न किसी को पता हैं, और न ही इसे ज्ञात करना संभव हैं. सही शब्दों में ये सनातन हैं, किन्तु “ज्ञानम्:” के इस खंड में हम धर्म के विभिन्न पहलुओ पर चर्चा करेंगे. धर्म का नजरिया ज्ञानम: की द्रष्टि से वैसे तो धर्म हमारी धारणा से जुड़ा हैं , मनुष्य की उत्पत्ति या इसके भी पूर्व से सबसे ज्यादा किसी का विकास हुआ हैं वो हैं धर्म, धर्म मनुष्य के स्वभाव का रूप हैं, हर जिव,निर्जीव का अपना एक गुण हैं जिसे धर्म की संज्ञा दी जा सकती हैं. धर्म को आप किस नजरिये से देखते हैं वो पूर्णत: आप पर निर्भर हैं.. लेकिन “ज्ञानम” की द्रष्टि से धर्म को समझना आपके लिए अनोखा अनुभव हो सकता हैं. “ज्ञानम:” में हम धर्म समुद्र के तल से तलहटी तक के आयामों को चुने
धर्म | अर्थ | काम | मोक्ष | राज | तंत्र | विश्व | ब्रम्हाण्ड